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Sunday, July 22, 2012

होसलों में उड़ान.....

माना है असंभव ‘चाँद’ को पाना 

पर दिल पर किस का ज़ोर है ‘जाना’ 


जिद्द है इसकी चाहेगा वही 

जिसे पाने में करनी पड़े जद्दो-जहद .. 


गर होसलों में उड़ान न हो 

जुस्तजु दीदार-ए-यार न हो 


नहीं ऐसी शक्सियत की ख्वाइश मुझे

जो हाथ में न कैद कर सके 

उस चाँद की चादनी 

और ज़हन में ‘उसका’ अक्स...........पूनम(ss) 

8 comments:

  1. beautifully expressed.....loved reading it....

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  2. Dear Poonam Ji!

    Very good work, i am sure that your blog will be one of the most popular blogs in coming days. Keep continue posting such beuatiful poems...

    Kumar Bindaas

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    1. Kumar bindaas .....thats a gr8 encouragement .....:)

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  3. सबसे पहले आपको बहुत बहुत धन्यवाद! बहुत ही उत्साह्त्मक लिखा है आपने! मेरा तो उत्साह दोगुना हो गया अपने लक्ष्य के प्रति!

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    1. अतुल आपका भी आभार .......और मुझे खुशी है कि मेरी रचना सार्थक हुई आपके उत्साहवर्धन के लिए .........:)

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  4. पूनम जी सबसे पहले आपको बहुत बहुत धन्यवाद..
    जो कि आपने मेरे होसलों में भी उड़ान भर दी है लक्ष्य मुजे अपने करीब नजर आने लगा है..
    जिद्द है इसकी चाहेगा वही
    जिसे पाने में करनी पड़े जद्दो-जहद ..

    गर होसलों में उड़ान न हो
    जुस्तजु दीदार-ए-यार न हो
    -------------------
    हम भी काश इन परिंदों की तरह,
    आकाश में कहीं दूर चल चलें..
    एक नया आसमान तलाशने..
    एक नयी दुनिया बसाने..
    जहाँ हर तरफ खुशी हो..
    एक ऐसा जहाँ बनाये जहाँ,
    नफरत की कोई जगह न हो..
    और प्यार कभी कम न हो.

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    1. आपकी प्रतिक्रिया ने मेरी रचना सार्थक कर दी ....मोहन ..
      वाकई परिंदे स्वछन्द गगन के वासी है और हमें प्रतियोगिता से परे एक सौहार्द पूर्ण जिन्दगी जीने को प्रेरित करते हैं ......जिसकी उंचाई और फैलाव की कोई सीमा नहीं :)

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