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Sunday, August 12, 2012

मुलाक़ात ............




पूछता है आइना अक्सर, कहाँ गयी तेरी वो मुस्कान अब ?
कैसे बताएं उसे कि उनसे, होती नहीं मेरी मुलाकात अब  ?

दरों-दीवार रहते थे मेरे, जिनके प्यार से रोशन हरदम,
क्या कहें गहरा गयी है, रात सी स्याही सरे शाम अब|

पहलु में मेरे खोये हुए , गुज़रते थे रात –दिन  जिनके,
रास्ते जुदा हुए उनसे, हो गयी ये बात सरे–आम अब|

चटकती थी कलियाँ मेरे दिल की, अहसास से जिनके ,
खिलते नहीं अब गुल वहाँ , मुरझा गयी है हर शाख अब|

बड़े अरमानो से बसाई थी , साथ उनके दुनिया ख़्वाबों की,
बिखर के खत्म हो गयी  , नगरी वो हंसी-महताब  अब|

उनके  साथ कट जाती थी, जो बातों, वादों, मनुहारों में,
क्यों कटती नहीं काटे , वो लंबी सुनसान रात अब |

बड़े गुमान से कहते थे मुझे, अश्क बेशक़ीमती हैं ‘पूनम’,


कौन है जो सम्भालेगा मुझे, समझेगा मेरे जज़्बात  अब |


.............पूनम (N)

32 comments:

  1. बहुत खूब पूनम जी, अति सुन्दर रचना है....बहुत बहुत शुक्रिया....

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    1. शुक्रिया कुमार ......मुझे पता है कि ब्लॉग में आकर पढ़ने और प्रतिक्रिया देने के लिए अतिरिक्त ज़हमत उठानी पड़ती है ........और मुझे खुशी है कि आप ये मेहनत करते हैं और मुझे प्रोत्साहित करते हैं :)

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  2. सुन्दर ब्लॉग में -सुन्दर रचना
    ===========================================
    पूछता है आइना अक्सर, कहाँ गयी तेरी वो मुस्कान अब |
    कैसे बताएं उसे कि उनसे, होती नहीं मेरी मुलाकात अब |
    उनके साथ कट जाती थी, जो बातों, वादों, मनुहारों में,
    क्यों कटती नहीं काटे , वो मूई लंबी सुनसान रात अब |
    ============================================
    बहुत खूब पूनम जी !
    बहुत-बहुत बधाई !
    -

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    1. ओम जी बहुत बहुत आभार ........आपके प्रोत्साहन से भरे शब्द मेरे खजाने में वृद्धि करते हैं

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    2. bahut sundar aur aasan alfaaz men.dil ko cho leni wali nazam hai

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    3. shukriya Sayed ji ...mere alfaazon ko tavazzu dene aur pasand karne ke liye bahut shukriya

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  3. चटकती थी कलियाँ मेरे दिल की, अहसास से जिनके ,
    खिलते नहीं वहाँ गुल , मुरझा गयी है हर शाख अब |

    bahut hi sunder panktiyaan hai....dil ko choo lene wali rachna hai aap ki Di....birhan man ki dasha ko bakhubi byan kiya aap ne...

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    1. शुक्रिया गुरमीत .....सुना था गम के समंदर में डूब के लोग अपनी रचना में गहराई ला
      पाते हैं .......विरह -विछोह बहुत वेदना देता है ......बस उसी को उकेरने की कोशिश की है .......धन्यवाद

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  4. बेहद सुंदर अभिव्यक्ति.. बहना

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  5. पूछता है आइना अक्सर, कहाँ गयी तेरी वो मुस्कान अब |
    कैसे बताएं उसे कि उनसे, होती नहीं मेरी मुलाकात अब |

    दरों-दीवार रहते थे मेरे, जिनके प्यार से हरदम रोशन,
    क्या कहें गहरा गयी है, रात सी स्याही सरे शाम अब|
    bhaut hi pasndh aayi muje ye 4panktiya bahut bhaut sukriya apka p ji

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    1. Mohan chaliye 4 panktiyaan hi safal ho gayi is rachna kii :))))))))))

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. yashoda ji .....shukriya .....ek to meri rachna ko padhne ka .....dooje sarahne ka .........aur teeje.......uske prasaar ke liye :)))))))))))

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  8. पूनम बहन
    आईये परसों हलचल में
    आपका स्वागत है सातों दिन
    आज सोमवार दीप्ति बहन का दिन है पर वे अस्वस्थ हैं इसीलिये
    आज भाई यशवन्त जी ने अपनी पसंदीदा रचनाओं के लिंक्स रखे हैं
    शानदार रचनाओं के लिंक्स हैं
    स्वागत है आपका
    सादर
    और हाँ... वर्ड व्हेरिफिकेशन हटा देंगे

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  9. बेहतरीन रचना ।

    सादर
    ---
    ‘जो मेरा मन कहे’ पर आपका स्वागत है

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    1. यशवंत जी ......आपके स्नेह हेतु आभार ......
      आमंत्रण के लिए शुक्रिया

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  10. दिल से जो भी मांगोगे वह ही मिलेगा, ये गणेश जी का दरबार है,
    देवों के देव वक्रतुंडा महाकाया को अपने हर भक्त से प्यार है..
    बोलो गणेश भगवान की जय ..
    मेरी ओर से आपको एवं आपके परिवार के सदस्यों को श्री गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर सब को शुभ कामनाएं और प्रार्थना करता हूँ कि गणपति सब के मनोरथ सिद्ध करें एवं सबको बुद्धि, विद्या ओर बल प्रदान कर आप की चिंताएं दूर करें.....आप सबका सवाई सिंह आगरा

    आप सभी को गणेश चतुर्थी की शुभ कामनाएं..सुगना फाउण्डेशन मेघलासियां

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    1. शुक्रिया ....सवाई सिंह राजपुरोहित जी ....
      https://www.facebook.com/photo.php?fbid=449191011790160&set=a.294924080550188.69297.100000977958389&type=1..

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  11. बड़े गुमान से कहते थे मुझे, अश्क बेशकीमती हैं ‘पूनम’,
    कौन है जो सम्भालेगा मुझे, समझेगा मेरे ज़ज्बात अब |
    बहुत ही सुंदर रचना |
    मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है |
    मेरी नई पोस्ट:-
    मेरा काव्य-पिटारा:बुलाया करो

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    1. प्रदीप जी शुक्रिया ......
      आमंत्रण के लिए आभार .......

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  12. यशोदा जी ....शुक्रिया आमंत्रण के लिए ........मैंने देखा वहाँ .....:)

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  13. चटकती थी कलियाँ मेरे दिल की, अहसास से जिनके ,
    खिलते नहीं वहाँ गुल , मुरझा गयी है हर शाख अब |


    feeling so good. padhkar achha laga.

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  14. hello poonam ji bahut sundar mujhe bahut acha lga aap ka blog.... aage badhte raho... iswar ki dua se

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    1. Bhagwan Akora ji .... blog kii tareef ke liye shukriya .......aate rahiyega :)

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  15. poonam di aapki kavita ki jitni tariff ki jaye kam hai bahut hi sundar rachna hai aapki is so very nice.....

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