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Friday, March 22, 2013

कशमकश .............


एक खलिश सी है
और प्यार भी
जाने को कहते हैं
और जाने देते नहीं
यही कशमकश है
उम्र के इस पढाव की
ज़रूरत तो महसूस होती है
दूरी की कभी
पर उसकी आदत भी नहीं
दिल बेसबब सा ढूढता है उन्हें
जब वो देखाई देते नहीं
अजब है ऋt, अजब से हाल हैं
पैर मचलते हैं नाचने को
पर भय अनजाना कोई बांध लेता है उन्हें
बातें आती हैं दिल में बहुत कहने को
पर दिमाग यूँही बेफजूल समझ
उन्हें भीतर ही रोक लेता है
‘जाओ’ भी निकलता है मूह से ,पर
दिल एक ज़ंजीर बाँध फिर खींच लेता है
यूँही कशमकश में इंसा एक जिंदगी जी लेता है........ पूनम (अरमान से )

15 comments:

  1. धन्यवाद वंदना ....... चर्चा मंच पे चर्चा हेतु स्वीकारने के लिए

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  2. बहुत सुन्दर ...
    पधारें "चाँद से करती हूँ बातें "

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    1. प्रतिभा शुक्रिया ..............ज़रूर

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  3. जिंदगी यूं ही बीत जाती है ... प्यार ओर प्यास दोनों बढती जाती हैं ..

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    1. दिगम्बर जी सच कहा ........... आपका सदैव स्वागत है

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  4. उम्र के इस पढाव की
    ज़रूरत तो महसूस होती है
    दूरी की कभी
    पर उसकी आदत भी नहीं
    दिल बेसबब सा ढूढता है उन्हें
    जब वो देखाई देते नहीं - लाजवाब अभिव्यक्ति है
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    latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार

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    1. नमस्कार एवं स्वागत .........धन्यवाद पसंदगी के लिए ......
      जरूर आपकी रचना पढना चाहूंगी

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    2. पूनम जी ,आपने सही व्याख्या की है .धर्म क्या है ? इसपर मेरी अगली कविता है आपके बहुमूल्य विचार का इन्तेजार रहेगा.

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    3. कालिपद जी शुक्रिया ..मै आपकी दोनों रचनाएँ पढ़ ली थी उसी दिन .......और साथ ही सरस्वती वंदना भी ........आपके भाव और उनकी अभिव्यक्ति अत्यंत सराहनीय है .साधुवाद

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  5. दिल बेसबब सा ढूढता है उन्हें
    जब वो दिखाई देते नहीं
    अजब है ऋतु, अजब से हाल हैं
    पैर मचलते हैं नाचने को

    :)
    क्या बात है पूनम जी !
    सुना है की दिमाग की नहीं दिल की बात माननी चाहिए ...

    भावभरी रचना के लिए साधुवाद !

    आपको सपरिवार होली की बहुत बहुत बधाई !
    हार्दिक शुभकामनाओं मंगलकामनाओं सहित…

    -राजेन्द्र स्वर्णकार


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    1. नस्मकर राजेंद्र जी .......स्वागत ......माननी तो दिल की चाहिए परन्तु दिमाग कब अपनी सत्ता पर अतिक्रमण स्वीकार करता है :)बहुत बहुत धन्यवाद ..........आपको भी होली की बधाई एवं शुभकामनाएं .......दो रचनाएँ शेयर कर रही हूँ पढियेगा ,.....और आप जैसे श्रेष्ठ रचनाकार से प्रोत्साहन के साथ मार्गदर्शन भी चाहती हूँ ........

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  6. बेहद ही खुबसूरत और मनमोहक…
    आज पहली बार आना हुआ पर आना सफल हुआ बेहद प्रभावशाली प्रस्तुति
    बहुत ही सुन्‍दर प्रस्‍तुति ।

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    1. संजय जी .......कभी न कभी तो प्रथम कदम उठाना पड़ता है
      और अगर सही दिशा में उठ जाए तो प्रयास सफल हो जाता है
      धन्यवाद आप आये और उत्साह वर्धन किया

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