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Friday, May 29, 2015

सिर्फ न्यूज़ बनाना ही एक मात्र ध्येय रह गया है क्या ......?



 














मेहमान से पूछना ‘चाय लेंगे या ठंडा?’ .... ‘अगर चाय लेंगे तो कप में या गिलास में?’ .. ‘गिलास स्टील का या कांच का ..... ??’ और इस तरह के फ़ालतू के प्रश्नों से किसी को भी झुंझलाहट लाने वाले किस्से नये नहीं .... पर अब देखें तो चौबीस घंटों के समाचार चैनलों की भीड़ और उनमे आपस की प्रतियोगिता यानि अपने वर्चस्व को बनाये रखने की होड़ में समाचारों को न जाने किस कग़ार पर लाकर रख दिया है| 

कोई हीरोइन छींक दे,.... .तो ब्रेकिंग न्यूज़.... कोई नेता किसी दुसरी पार्टी के नेता से मिल आये,... तो हल्ला ...और हर तीसरे आदमी के माइक रख पूछना कि उनकी क्या राय है उस बारें में ........बस सुर्खियाँ बटोरना और उन्हें मेंढ़क की टर्र-टर्र की तरह परोसते जाना ..... आख़िर क्या चाहते हैं ये न्यूज़ चैनल?
राई का पर्वत बनाना तो जैसे धर्म ही हो गया है इनका| अब रिपोर्टर भी ये, पुलिस भी ये, सी बी आई  यानि जांच एजेंसी भी ये, अदालत भी इनकी और तो और फैसलें भी इन्ही के|
बाल की खाल निकालना तो चलो मान भी लें कि ये करेंगे ही  पर जब तक अच्छे-खासे कपड़ों को सीवन तक उधेड़ न लें तब तक इन्हें चैन कहाँ?

और अब तो इन्हें एक सदैव ताज़ा अंडा देने वाली मुर्गी  यानि ताज़ा न्यूज़ हर घंटे ... हाँ , हर घंटे इसलिए कहा क्योंकि एक न्यूज़ से तो ये एक घंटा आराम से निकाल ही लेते हैं ..... खैर बात थी ‘सोने का अंडा देने वाली मुर्गी’ या कहें कि हमारे आदरणीय प्रधान मंत्री ‘मोदी जी’ की जो मिल गए हैं इन्हें| वो कोई काम करें इन्हें बस उसकी धज्जियां ही उड़ानी है, चाहे वो उनका उपहार में मिला ‘सूट’ हो  या अब मंगोलिया से उपहार में मिला ‘घोड़ा’ |

मुझे राजनैतिक समाचारों और पार्टियों से कुछ लेना देना नहीं किन्तु अजीब सी कोफ़्त होती है जब ....कई घंटे समाचार चैनल इसी में निकाल देते हैं  कि ‘उपहार में मिला घोड़ा भारत में आखिर कहाँ रक्खा जाएगा’ !!!!!!! अरे भई अब ये भी ब्रेकिंग न्यूज़ बनेगी क्या ??? घोड़ा उपहार में मिला ......क्या इतना काफी नहीं बताना  .कि कई घंटे इसी चर्चा में निकालना ज़रूरी है कि घोड़ा किस वातावरण में .... कहाँ रक्खा जाएगा  .. मोदी जी के पास रहेगा या दूर .. ए सी में रहेगा या बगैर ए सी ... और भी न जाने कितने फ़ालतू के प्रश्न  .जैसे कि आम जनता का खाना पीना सब थमा हुआ है जब तक कि ‘घोड़े’ के ठहरने की जगह का निर्णय न ले लिया जाए  ...अब प्रधान मंत्री जी ने क्या महत्वपूर्ण समझोते किये या  देश के सम्बन्ध में क्या बात कही .... ये गौण हो जाता है उस ‘घोड़े’ की न्यूज़ के आगे|


अब बाज़ आयें ये कमर्शियल चैनल फालतू की चीर-फाड़ कर सुर्खियाँ परोसने से|

पूनम माटिया
दिलशाद गार्डन , दिल्ली 

poonam.matia@gmail.com

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